The best Side of hindi story

इतालो काल्विनो की कहानी : 'थेफ्ट इन केक शॉप' जो आज की अर्थनीति से बनाए-गढ़े जानेवाले समाज का एक महत्वपूर्ण क्रिटीक है, 'कफ़न' की बेतहाशा याद आती है.

एक झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों प्रेमचंद

(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी

गाड़ी आने के समय से बहुत पहले ही महेंद्र स्टेशन पर जा पहुँचा था। गाड़ी के पहुँचने का ठीक समय मालूम न हो, यह बात नहीं कही जा सकती। जिस छोटे शहर में वह आया हुआ था, वहाँ से जल्दी भागने के लिए वह ऐसा उत्सुक हो उठा था कि जान-बूझ कर भी अज्ञात मन से शायद किसी इलाचंद्र जोशी

केवल पांडे आधी नदी पार कर चुके थे। घाट के ऊपर के पाट मे अब, उतरते चातुर्मास में, सिर्फ़ घुटनों तक पानी है, हालाँकि फिर भी अच्छा-ख़ासा वेग है धारा में। एकाएक ही मन मे आया कि संध्याकाल के सूर्यदेवता को नमस्कार करें, किंतु जलांजलि छोड़ने के लिए पूर्वाभिमुख शैलेश मटियानी

The narrative weaves collectively the life of diverse people, reflecting the exceptional tapestry of Varanasi, in the ghats together the Ganges for the narrow lanes pulsating with the city’s history. With a blend of humour, satire, and social commentary, Kashi Ka Assi

चोर बस इतना ही कर के नहीं माने, उन्होंने सभी व्यापारियों को मस्ती के लिए नाचने और गाने के लिए कहा। अचानक व्यापारियों के नेता को एक विचार आया। उन्होंने अपनी गुप्त भाषा के जरिए खुद को बचाने की अपनी योजना बनायी। और फिर व्यापारियों ने चोरों को मुर्ख बना अपना सारा सामान भी वापिस ले लिया और अच्छा सबक भी सिखाया।

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।

दिन बीतते गए और मोर पर्याप्त सुविधाओं के साथ एक महान जीवन व्यतीत करता था। धीरे-धीरे उनका अभिमान आसमान पर पहुंच गया। का संगी अपना अधिक समय मोर के साथ बिताती थी, परिणामस्वरूप वह अपनी गर्मी से पृथ्वी को गले नहीं लगा पाती थी। धरती ठंडी होने लगी और जंगल के जानवर बीमार और उदास रहने लगे। हर समय बारिश होने लगी, सब कुछ तबाह हो रहा था और पृथ्वी पर कोई खुशी नहीं बची थी।

अगले दिन दूसरे भाई ने सावित्री को अपने सफ़ेद मैले कपडे धोने के लिए भेजा और जानबूझकर उसे साबुन नहीं दिया। तालाब पर पहुंच कर सावित्री रोने लगी। तभी वहां से एक सारस निकला और रोती हुई सावित्री को देख कर उसकी मदद के लिए रुक गया। सरस कपड़ों पर लोटने लगा जिस से कपडे दूध जैसे सफ़ेद हो गए। सावित्री ख़ुशी ख़ुशी कपडे ले कर घर चली गई।

छत्तीसगढ़: 'अप्राकृतिक सेक्स' के लिए पति को मिली नौ साल की सज़ा का फ़ैसला अहम क्यों?

"यह बात नहीं कि उनकी जीभ चलती नहीं, पर मीठी छुरी की तरह महीन मार करती हुई. यदि कोई बुढ़िया बार-बार चितौनी more info देने पर भी लीक से नहीं हटती, तो उनकी बचनावली के ये नमूने हैं हट जा – जीणे जोगिए; हट जा करमाँवालिए; हट जा पुत्ताँ प्यारिए; बच जा लंबीवालिए.

" किरन अभी भोरी थी। दुनिया में जिसे भोरी कहते हैं, वैसी भोरी नहीं। उसे वन राधिका रमण प्रसाद सिंह

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